Yug Purush

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8TH SEMESTER ! भाग-24 ( Sidar~ सिदार )

और एक बार फिर से मुझे कल का इंतजार था, मैं चाहता था कि एक बार फिर से वो पाँचो चुड़ैल कॉलेज के पीछे वाले गेट के पास खड़ी रहे और मेरी मुलाकात उनसे हो जाए...... अब तो हॉस्टल के उस सिदार ने खुल्ली छूट दे दी है... पेलाई तो अब होगी उन सबकी... मुँह मे लात मार कर जबड़ा तोड़ दूंगा उन वेश्याओं का....


उस दिन की बात ही अलग थी, दो शेर आमने सामने थे, फरक सिर्फ़ इतना था कि एक असलियत का था तो दूसरा प्लास्टिक का बेजान.....एक शेर तो मैं था और दूसरा शेर वो पाँचो चुड़ैल  खुद को मान रही थी , वो उस वक़्त कॉलेज के पीछे वाले गेट के पास खड़ी होकर इस धुन मे मगन थी कि उनके बाय्फ्रेंड आज  मेरी अच्छी खबर लेंगे, लेकिन उससे भी अच्छी खबर तो मेरे पास थी.....वो पाँचो भी शायद कॉलेज के पीछे वाले गेट पर मेरा ही इंतज़ार कर रही थी, जैसे की मै उनका... उनका अपना प्लान था.. मेरा अपना... पबस जिसका तुक्का बैठ गया वो शिकारी  और जिसका नही बैठा.. वो शिकार... पर कोशिश तो करनी ही थी.. वाटना शिकार और शिकारी का ये अंतर कैसे पता चलता.....


"ला सिगरेट दे, धुआ उड़ाते हुए जाउन्गा...."झाड़ियों मे घुसे हुए मैने कहा "और साले... वहाँ मेरी बेज़्जती मत  कर देना, मैं जो कहूँ उसे करना और ऐसे रिएक्ट करना जैसे मैं तेरा बाप हूँ..."

"पकड़ के हिला  फिर मेरा .."

"मज़ाक कर रहा था, चल आजा..."

सिगरेट के कश मारते हुए मैं उनकी तरफ तैश से बढ़ा , आँखो मे काला चश्मा और उंगलियो के बीच जलती हुई सिगरेट घुमाते  हुए मैं उनके पास पहुचा....

"क्या हाल है बंदरियो, कल का याद नही जो आज यहाँ फिर अपनी मराने आ गयी...."अपना चश्मा नीचे करके मैने सिगरेट का कश लिया और उन पाँचो की तरफ धुंआ फेका ....

"ज़्यादा ओवर एक्टिंग मत कर"अरुण मेरे कान मे फुसफुसाया....

"ऐसा क्या..."धीमी आवाज़ मे मैने कहा"चल अब देख..."

"अच्छा ये बताओ, तुम पाँचो चुड़ैल यहाँ क्या सोच कर खड़ी हो.... कही किसी से अवैध सम्बन्ध बनाने तो नही आयी...? शक्ल देख के ही कोई बता देगा की तुम पांचो वेश्या हो... और कॉलेज के पीछे किसी से पैसे लेकर रास लीला रचाने आयी हो... अच्छा, बताओ.. एक बार का कितना लेती हो... 21 रुपये दूंगा... तुम पांचो का...  4.2 रुपये प्रति व्यक्ति....मंजूर है तो बोलो..."


पहले बंदरिया और फिर चुड़ैल... फिर वेश्या और फिर पैसे लेकर रास लीला रचाने वाली बात....अपने लिए ऐसे वाक्य सुनकर उनका पहले से ही सब कुछ लाल हो गया... उनका मन करता तो वो सैंडल उठाते कर मेरा थोबड़ा तोड़ देती..  दरअसल एक ने ऐसा करने का सोचा भी था... पर जैसे ही वो थोड़ा झुक कर सैंडल उतारने के लिए अपने हाथ को नीचे किया....

"अरुण... ला तो बांस दे... सर मे मारूंगा... इनके.. लहू -लुहान कर दूंगा आज इन पांचो को... लाश ही यहाँ से जाएगी इन कुतियों की यहाँ से... "

और मेरा  ये शब्द सुन... वो वापस से सीधी खड़ी हो गई....तभी विभा ने मुझे धमकी दी कि वरुण मुझे जान से मार डालेगा... वगैरह -वगैरह...

"वरुण की तू रखैल है ना...? मेरी बन जा... ऑटो का 5 रुपये बचाने के चक्कर मे वेश्या बन गई है तू वरुण की... मेरे पास भी बाइक है... मेरी रखैल बनेगी...?..."

"आज तुझे घसीट-घसीट का मारेंगे हमारे बाय्फरेंड्स...."विभा गुस्से से लाल अपने चेहरे पर रुमाल फिराते हुए चीखी...

"माँ कसम बहुत बेकार डाइलॉग था...."अपने जेब से रजनीगंधा का पॅकेट निकाल कर मैने मुँह मे डाला और फिर बोला"मुँह मे रजनीगंधा....कदमो मे लौंडिया, ऐसे डाइलॉग मारा कर...."

मुझे तो ये समझ नही आ रहा था की... वो सब क्या सोच कर आज यहाँ खड़ी थी... क्यूंकि बेइज्जती तो उन्ही की हो रही थी... उनका क्या प्लान है...? खैर मैने अपना प्रोग्राम जारी रखा और सबसे पहले विभा के सीने पर नज़र डाली...

"विभा मैम... टेनिस बॉल बहुत मेहेंगे हो गए है.. आपके पास तो दो- दो है... एकात हमें दे दो....."

"You bastard... Boys like you are only worth of my piss...  "झल्लाते हुए विभा बोली...
.
"And girls like you are only worth of my sperm... I will just shag and flow it into the toilet by applying bernoulli's theorem and the total energy produced  by me for this work is equal to the sucking power of your mouth... Bitch... गवार  समझ के रखी है क्या...? तुम पांचो अपना परसेंटेज मिला दो.. तब भी श्री अरमान के परसेंट से कम रहेगा......"

"व्हाट...."वो अपना सर गुस्से से खुजाते हुए बोली....

"मतलब कि दिल के अरमान आँसुओ मे बह गये "

"तू रुक , अभी वरुण को बुलाती हूँ...."पाँव पटक कर विभा वहाँ से चली गयी और उसके पीछे -पीछे बाकी की चुड़ैल भी चल दी....

"क्या गाली दी है भाई...."उनको जाते हुए देखकर अरुण ने कहा..."वैसे बारनौली थ्योरेम  का फ़ॉर्मूला क्या है ,मुझे याद नही आ रहा..."

"वो तो मुझे भी नही मालूम, अच्छा हुआ विभा ने पूछ नही लिया... वरना पुरे डायलॉग की ऐसी तैसी हो जाती 😂"मैं बोला" और पहले तू विभा के कामत से अपनी नजर हटा बे हवसी... दुश्मन है वो ...."

"वो तो बस मैं...... यार मुझे लड़कियों का ये भाग बहुत उत्तेजित कर देता है.. जब मै उनको पीछे से देखता हूँ तो  "

"ये मत भूल कि अभी हम भी कॉलेज के पीछे ही खड़े है, जल्दी चल वरना क्लास के लिए देरी हो जाएगी...."
.

पंगा तो आज होना ही था, क्यूंकी वरुण और उसके दोस्त मुझपर पहले से ही भड़के हुए थे और उपर से आज मैने उनकी आइटम्स को भी छेड़ा था और जहाँ तक मेरा अंदाज़ा था उसके अनुसार वो पाँचो फिर से मेरी शिकायत करेंगी और उसके बाद वरुण अपनी पूरी गैंग के साथ मुझे मारने आएगा लेकिन अब मै अकेला नही था... की बाइक मे बिठाया,.. ग्राउंड मे लिटाया और पेल दिया.... अब  उसके और मेरे बीच सिदार खड़ा था..... फाइनल ईयर का स्टूडेंट, ऊपर से हॉस्टलर.. जिसके इशारे पर पुरे हॉस्टल के लड़के किसी को भी मारने के लिए उतारू हो सकते है...

"यदि सिदार नही आया तो...."मेरी धड़कने लाइट की वेलोसिटी से भी तेज चलने लगी, जब मेरे दिल मे ये ख़याल आया....

क्यूंकी मैं जनता था कि यदि सिदार नही आया तो वरुण और उसके चम्चे मेरा बहुत बुरा हश्र करेंगे,  इतना बुरा की फिर सर उठाकर कभी खुद से नजरें नही मिला पाउँगा... इतना बुरा की जिंदगी बात लोग मुझे धिक्कारे... उसके पहले ही मै खुद को धिक्कारता रहूँगा.... इसलिए मैने खुद को कई  बार समझाया कि ये सब सिर्फ मेरे बेतुके ख़याल है, सिदार मेरा साथ ज़रूर देगा लेकिन जब दिल नही माना तो मैने अपने मोबाइल निकालकर सिदार का नंबर डाइल किया और उधर से तुरंत रेस्पोन्स मिला...

"हेलो..."

"सर.... मैं अरमान...."

"अरमान...."उसने मेरा नाम ऐसे लिया जैसे कुछ याद करने की कोशिश कर रहा हो और फिर बोला"हां बोल, अरमान..."

"वो सर, मैने आज फिर उन लड़कियो को छेड़ा, जैसा आपने कहा था..., जो कॉलेज के पीछे वाले गेट पर खड़ी रहती है...."
"गुड, लेकिन अभी कॉल क्यूँ किया...."

"सर, वो विभा बोल के गयी है कि वो मुझे देख लेगी और उसका इशारा सॉफ था कि वो मुझे वरुण से...."

"डर मत, आज रिसेस मे कॉल करना"इतना कहकर सिदार ने तुरंत  कॉल कट कर दी....


मोबाइल जेब मे रखकर मैने टाइम देखा, रिसेस होने मे चन्द मिनट. ही बाकी थे... घड़ी मे समय देखते ही  मेरी साँसे तेज हो चली थी.....टीचर ने 10 मिनट. पहले ही क्लास छोड़ दी थी लेकिन ये हिदायत दी थी कि जब तक रिसेस का टाइम नही हो जाता कोई भी क्लास से बाहर नही निकलेगा..... किताबो से तो दुश्मनी हो गयी थी इसलिए पढ़ाई के बारे मे सोचना मैने मुनासिब नही समझा और एक बार फिर सिदार के बारे सोचने लगा.....

सिदार जहाँ एक तरफ इस साल एनएसयूआइ के इलेक्शन  मे प्रेसीडेंट के पोस्ट के लिए खड़ा हुआ था वही दूसरी तरफ वरुण भी प्रेसीडेंट पोस्ट के लिए एक मज़बूत उम्मीदवार के रूप मे सिदार के खिलाफ था, इसलिए दोनो मे अनबन एक नॉर्मल सी बात थी....लेकिन ये अनबन इस साल से नही बल्कि बहुत पुरानी थी....पिछले साल वरुण ने कॉलेज के मेन गेट के पास हॉस्टल  वाले एक लड़के का शर्ट फाड़ दिया था और उसे बहुत मारा भी था. जब ये बात सिदार को मालूम चली तो वो पूरे हॉस्टल  वालो को समेट कर दूसरे दिन वरुण को उसी की क्लास मे यानी कि 4th ईयर  की क्लास मे घुसकर सबके सामने वरुण को औकात मे रहने की हिदायत दी थी....

वरुण ना तो उस वक़्त सिदार का कुछ कर पाया और ना ही उसके बाद सिदार का कुछ उखाड़ पाया.....सिदार के पास जहाँ एकतरफ हॉस्टल  मे रहने वाले 200 लड़को का सपोर्ट था वही कॉलेज स्टाफ भी उसके साथ था, कॉलेज स्टाफ का सिदार के साथ होने की सबसे बड़ी वजह शायद ये थी कि वो अपने क्लास का टॉपर था , उपर से फुटबॉल का एक शानदार प्लेयर भी था..... जो इंडियन कैंप मे दो बार सेलेक्ट हो चुका था. वही वरुण... सात साल से इंजीनियरिंग तक पास नही कर पा रहा था... लुल्ल ..👎

"Multi Talented Launda..... In short....  MTL "कुल मिलकर सिदार को यही बोल सकते है.....

रिसेस मे मैने एक बार फिर सिदार को कॉल किया और उसने मुझे बताया कि आगे क्या करना है और उसी के मुताबिक .मैं, अरुण के साथ क्लास से बाहर आया और बाइक स्टॅंड की तरफ बढ़ने लगा....ये जानते हुए भी कि वहाँ हर दिन की तरह  इस वक़्त वरुण की मंडली जमा होगी.. जिन्होंने यदि मुझे गलती से कही देख भी लिया... तो जान से मार देंगे.. खासकर के आज जो मैने विभा के साथ किया......लेकिन हमारे प्लान के मुताबिक मुझे बाइक स्टॅंड पर जाना ही था..... सो, हिम्मत करके, रिस्क लेकर मै चल पड़ा.

"कॉलेज मे जाकर पढ़ाई करना बे, लौंडिया बाज़ी मे बिज़ी मत रहना और ना ही इस चक्कर मे पड़ना..."मेरे भाई की इस पहली सलाह  की मैने कल ही धज्जिया उड़ाई थी....

क्यूंकी यदि एक लड़का किसी लड़की से मिलने हॉस्पिटल मे जाता है वो भी बिना जान पहचान के तो इसे हिन्दुस्तान के लोग लौंडियबाज़ी ही कहते है.....या फिर उसकी शुरुआत.

"दारू, सिगरेट इन सबको छुआ भी तो सोच लेना...."भाई की इस सलाह  का हाल पहले वाली सलाह की तरह ही था....
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"और यदि लड़ाई झगड़े की एक भी खबर घर पर आई तो उसी वक़्त तेरा टी.सी. निकलवा दूँगा समझा..." और अब मैं अपने भाई की इस आख़िरी सलाह  की धज्जिया उड़ाने जा रहा था.......

"वरुण वो देख... वो रहा साला.. हारामी... पकड़-पकड़ साले को...."मुझे देखकर बाइक स्टैंड पर बैठे एक भारी भरकम शरीर वाले ने मेरी तरफ इशारा किया और जोर से चीखा...

To Be Continued.....

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4 Comments

Kaushalya Rani

25-Nov-2021 09:15 PM

Nice part

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Fiza Tanvi

27-Aug-2021 12:46 PM

Nice

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Apeksha Mittal

13-Aug-2021 10:56 PM

👍👍👍

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Yug Purush

14-Aug-2021 05:04 AM

Shukriya....

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